वो पुरानी यादें, वो कमसिन निगाहें,
वो तड़पते जज़्बात, वो कातिल अदाऐं,
गुजरे वो जमाने, बीती वो सारी फिजाएँ,
कि आज समां है बदला, इंतेजार हमें है सताए।
खामोशी का नजारा, बेबसी हमें तड़पाए,
कि अब आओगे तुम, याद तेरी हमें तरसाए।
बातें हजार बतानी हैं तुझे, गुमसुम ये दिल जले,
कि दिल चाहे तेरी सलामती, तुझे फिर से हम हँसाएँ।
मानी हमने हजार मिन्नतें, चाहत तेरी दिल में जले,
कि कब तु आए और सताए, दिल में बसे तुम सदा के लिए।
- डॉ. हीरा