बाँध कर कफन, आया इस जग में तू है ओ राही,
सफर तेरा है लंबा, कर जीने की तू अब तैयारी।
के अर्थी तेरी भाग्य में लिखकर लाया तू है राही,
बंदोबस्त अपनी अंतिम की, करनी है तुझे सवारी।
दुख दर्द को बाँधकर तुझे जाना है रे राही,
कि रो कर और कोसकर तू इस दुनिया से ही जाएगा, रे राही।
कर इतनी दुआ खुदा से तू इतनी, रे राही,
कि बदल तू सके भाग्य की लिखी ये तेरी जिंदगानी।
सँवार सके खुद को तू इतना मेरे राही,
कि बारात आए अब तेरी खुदा के दर पे सजी सँवारी।
- डॉ. हीरा